बेतिया:- बिहार:- भैरोगंज थाना से राहुल साह कि रिपोर्ट
नए कानूनों का एक अच्छा पहलू यह है कि अगर किसी व्यक्ति को पुलिस गिरफ्तार करती है तो वह अपनी पसंद के किसी भी व्यक्ति को अपनी स्थिति के बारे में सूचित कर सकेगा. गिरफ्तार होने वाले व्यक्ति को अब इसका अधिकार होगा. इससे जो व्यक्ति गिरफ्तार होगा, उसको तुरंत मदद मिल पाएगी. यही नहीं, पुलिस को गिरफ्तारी का विवरण थानों और जिला मुख्यालयों में प्रमुखता से प्रदर्शित करना होगा. इससे किसी भी गिरफ्तार व्यक्ति के परिवार वाले और दोस्त-रिश्तेदार आसानी से सूचना पा सकेंगे.
2.शादी का झांसा देकर संबंध बनाना अब दुष्कर्म नहीं
भारतीय दंड संहिता में विवाह का झूठा वादा करने, नाबालिग से दुष्कर्म, भीड़ द्वारा पीट-पीट कर हत्या करने और झपटमारी जैसे मामलों से निपटने के लिए कोई खास प्रावधान नहीं था. भारतीय न्याय संहिता में इनके लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं. शादी का वादा या झांसा देकर संबंध बनाने के अपराध को दुष्कर्म से अलग अपराध बनाया गया है. यानी इसे अब दुष्कर्म की परिभाषा में शामिल नहीं किया गया है.
3.एफआईआर में देरी नहीं, सरकारी अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई का नियम बदला
अब सात साल से ज्यादा सजा वाली सभी आपराधिक घटनाओं पर फॉरेंसिक साइंस लैबोरेटरी (एफएसएल) टीम का घटनास्थल पर जाना अनिवार्य होगा. इससे दोषसिद्ध अनुपात बढ़ेगा. कोई अपराध होने पर पीड़ित को अब संबंधित क्षेत्र के थाने में जाने की जरूरत नहीं होगी. अब कोई भी व्यक्ति किसी भी क्षेत्र के थाने में एफआईआर दर्ज करा सकेगा. जीरो एफआईआर के तहत मामला दर्ज होने के बाद कानूनी कार्रवाई में विलंब नहीं होगा. यह एफआईआर दर्ज होने के 15 दिनों के भीतर ओरिजिनल जूरिडिक्शन यानी उस थाने को भेज दी जाएगी, जहां का मामला है.
पुलिस को भी शिकायत मिलने के तीन दिनों के भीतर एफआईआर दर्ज करनी होगी. इन कानूनों के लागू होने से कोई भी व्यक्ति अब पुलिस थाना गए बिना ही इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से घटनाओं की रिपोर्ट (ई-एफआईआर) दर्ज करा सकता है. किसी भी पुलिस ऑफिसर या सरकारी अधिकारी के खिलाफ केस चलाने के लिए 120 दिनों में संबंधित अथॉरिटी को इजाजत देनी होगी. अगर इजाजत नहीं दी जाती है तो भी मान लिया जाएगा कि इजाजत मिल गई है.