उल्लेखनीय है कि शनिदेव को तिल और तेल चढ़ाने की पौराणिक मान्यताओं के चलते भक्तों ने तिल और तेल चढ़ाकर अपनी मनोकामना पूर्ण होने की प्रार्थना शनि देव से की। शनिवार को सुबह से ही श्रद्धालु स्नान ध्यान कर शनि मंदिर में पूजा-अर्चना करने पहुंचे। शनि के दोषों से मुक्ति पाने के लिए ये दिन खास माना जाता है। शनि मंदिर के पुजारी आचार्य पंडित राज शर्मा महाराज ने बताया कि ऐसी मान्यता है कि शनि देव की पूजन करने से शनि साढ़े साती और शनि ढैय्या से पीड़ित जातक का कष्ट दूर हो जाता है। शनि मंदिर में शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए भक्तों का सुबह से ही आना-जाना शुरू हो गया था जो देरशाम तक बना रहा। शाम के समय महा आरती कर प्रसादी का वितरण किया गया। पूजा अनुष्ठान आचार्य पंडित राज शर्मा कुरूद वाले के मार्गदर्शन एवं केशव वैष्णव, हेमंत दुबे के सहयोग से सम्पन्न हुआ।