अभिभावकों ने आरोप लगाया है कि संतपुष्पा इण्टर कालेज में धनकुबेर अभिभावकों व उनके बच्चों की पूंछ अधिक है। कालेज में सरकार द्वारा सुनिश्चित मानक का जहां अनदेखा किया जा रहा है। वहीं शैक्षणिक सत्र 2023-24 में कक्षा 09 व 11 में पंजीकृत दर्जनों छात्रों को कक्षा 09 व 11 में कम अंक प्राप्त होने पर कालेज का रिकॉर्ड खराब होने का आरोप लगाते हुए कक्षा 10 व 12 में अन्यत्र नामांकन कराने के लिए जबरदस्ती टी सी (स्थानान्तरण प्रमाण पत्र) जारी कर निष्कासित कर दिया गया है। संत पुष्पा इण्टर कॉलेज ढाढ़ा में अपने बच्चों को पढ़ाने वाले अभिभावकों ने कालेज की व्यवस्था पर मनमानी का आरोप लगाते हुए कहा है कि विद्यालय में शिक्षण शुल्क के नाम पर मोटी रकम लिया जाता है और क्लास रूम में मानक से अधिक बच्चों को बैठाया जाता है जिसका परिणाम है कि शिक्षक सभी बच्चों की समुचित शिक्षा पर ध्यान नहीं दे पाते है और बच्चों को फीस के नाम पर प्रति माह 1200, से 1300 रुपये तक दिये जाने के बावजूद बच्चे पढ़ाई में कमजोर हो गये है और विद्यालय द्वारा शैक्षणिक सत्र 2023-24 में कक्षा 09 व 11 में पढ़ने वाले बच्चों जिनका अंक कम प्राप्त हुआ है उनमें अमन सिंह बल्डीहा, प्रतीक यादव डुमरी मलाव, विशाल यादव डुमरी मलाब, सोनू यादव डुमरी मलाव, संतोष पटेल पैकौली लाला, दिपेश प्रजापति सुकरौली, प्रतीक गुप्ता ढाढ़ा, कुमार धनंजय सुकरौली, आशुतोष श्रीवास्तव झांगा, निखिल यादव झांगा, शिवम कुशवाहा हाटा, दुर्गेश गौड़ हाटा, आशुतोष सिंह सुकरौली, आलोक मद्धेशिया सुकरौली, पीयूष पासवान खागी मुंडेरा, सचिन साहनी, निखिल गोंड हाटा, संकेत यादव हाटा, आयुष तिवारी हाटा, अमरजीत कुमार झांगा, विवेक पाठक हाटा, राज मद्धेशिया सुकरौली, जयंत प्रताप सिंह लेहनी, अतुल राय रामपुर सोहरौना आदि इन तमाम बच्चों को जबरन टी सी (स्थानान्तरण प्रमाण पत्र) दे दिया गया है। जिससे इन बच्चों सहित अभिभावकों में विद्यालय के प्रति जहां आक्रोश व्याप्त है वहीं यह सैकड़ों बच्चे हाईस्कूल एवं इण्टरमीडिएट द्वितीय वर्ष में नामांकन के लिए विभिन्न विद्यालयों का चक्कर लगा रहे हैं तो जबाब में यह सुनने को मिल रहा है कि संतपुष्पा इण्टर कालेज अपना शत-प्रतिशत परीक्षा परिणाम दिखाने के लिए कमजोर बच्चों को जबरन निष्कासित कर दिया है तो यहां पर नामांकन कैसे होगा। इस प्रकार संतपुष्पा इण्टर कालेज ढाढ़ा की मनमानी से सैकड़ों बच्चों का भविष्य अंधकारमय है। तथा अभिभावकों के लिए यह गंभीर समस्या बनी हुई है।