आइए हम आपको बताते हैं कि किस खबर को लेकर दलाली करने वाले दलाल क्यों हुए आग बबूला,,,,
मथुरा के जिला चिकित्सालय से मथुरा के प्राइवेट अस्पतालों में धड़ल्ले से मरीजों मोटे कमीशन के लिए रेफर किया जा रहा हैं रात्रि के समय जिला अस्पताल परिसर में जिंदगी और मौत का सौदा करने वाले दलालों ने अपना अड्डा बना लिया है मोटे कमीशन के चलते मरीज के साथ वालों को गुमराह करके उनकी जबरन प्राइवेट अस्पतालों मे मरीजों की शिफ्टिंग कराई जाती है बातचीत करने पर जिला अस्पताल के सी एम एस ने अपने आप को इस मामले में बिल्कुल अनजान बताया कुछ लोग कहते मेरा देश बदल रहा है,जबकि सच ये है कि अभी सरकारी विभागों में पुराना ढर्रा अभी भी चल रहा है। मथुरा महर्षि दयानंद जिला चिकित्सालय, जिसके बारे में बड़े बड़े दावे शासन और प्रशासन की तरफ से किए जाते है, सांसद और विधायक निधि से अनुदान की बातें भी की जाती है, इसके अलावा राज्य और केंद्र की कई योजनाओं के धन से इसके विकास के दावे किए जाते है, लेकिन सच क्या है हम आपको बताते है, करोड़ो रुपया व्यय होने के बाद भी यहां मरीज को उपचार नही मिल पाता है इसकी वजह स्टाफ और उपकरण की कमी मतलब इतना धन जाया हो रहा है,फिर भी मरीज को प्राइवेट हॉस्पिटल में शिफ्ट होना पड़ रहा है मरीज का खून बहता वा सीरियस अवस्था में देख मरीज के साथ वाले घबरा जाते हैं और सरकारी अस्पताल से उन्हें रेफर कर प्राइवेट अस्पतालों में उन्हें बुरी तरह से लूट लिया जाता हैं
गरीब असहाय लोगों को जिला अस्पताल में मिलने वाले उपचार की सख्त जरूरत है वो उपलब्ध नही है यही वजह है जिसके कारण मरीज को रैफर होना पड़ता है, ये उसकी मजबूरी भी है, बताते है कि उसकी इसी मजबूरी का फायदा दलाल उठाते है, मथुरा के कई नामचीन नर्सिंग होम हॉस्पिटल संचालकों के गुर्गे जिला अस्पताल पर हमेशा मंडराते है,और वो अस्पताल के स्टाफ को सेट कर मरीजों को अपनी निजी एंबुलेंस के जरिए अपने हॉस्पिटल में ले जाते है, जहां उनसे मोटी कमाई इलाज के नाम पर की जाती है,और फिर निजी हॉस्पिटल संचालक उसका लगभग पच्चीस से तीस प्रतिशत हिस्सा दलालो और जिला अस्पताल के स्टाफ पर खर्च करते है, ये सिलसिला लगातार जारी है, बताते है कि जिला चिकित्सालय में तैनात एक ईमानदार चिकित्सक को दलालों ने पिछले दिनों हड़काया भी था, क्योंकि मरीज की कंडीशन को देखते हुए चिकित्सक ने उसे दलालों के साथ जाने की बजाय आगरा एस एन मेडिकल जाने की सलाह दी, जिससे एक निजी अस्पताल का संचालक कुपित हो गया और उसने उक्त ईमानदार डॉक्टर को हड़काया डाला, जिसकी लिखित शिकायत उस ईमानदार चिकित्सक ने पुलिस में भी की, लेकिन दल्लाओ की गिरफत में फंसे हॉस्पिटल के अन्य कर्मचारियों ने चिकिसक पर दबाब डाल निजी हॉस्पिटल संचालक के फेवर में मामला रफा दफा करवा डाला,मीडिया ने चिकित्सक से बात की तो उसने पूरी घटना बताई, लेकिन साथ ही नाम न उजागर करने का अनुरोध किया, इसलिए उसका नाम न्यूज पेपर खबर में प्रसारित नही कर रहा है वैसे उनके द्वारा दिया शिकायत पत्र इलाका पुलिस के पास अभी भी मौजूद है, पत्रकारों ने जब इस मामले में सी एम एस मुकुंद बंसल से बात की तो पहले उन्होंने मामले से अनभिग्यता जताई, लेकिन उन्हें जब हॉस्पिटल में जमे निजी हॉस्पिटलों के गुर्गों की मौजूदगी और जिला अस्पताल के स्टाफ संग हिल मिल कर मीटिंग करने, निजी एंबुलेंस की मौजूदगी की वीडियो दिखाई, तो वह बोले इन्हे मुझे दीजिए में कार्यवाही करूंगा, और उन्होंने इंस्पेक्टर कोतवाली मथुरा को फोन कर दलालों को भगाने के लिए भी कहा लेकिन बाबजूद इसके डिस्ट्रिक हॉस्पिटल में दलालों की सक्रियता निरंतर जारी है, हैरत इस बात की है कि जिस तरह की बात सी एम एस मथुरा ने पत्रकारों से की वो बात सत्य था या वो महज नाटक? ये निर्णय आप पर छोड़ते है, लेकिन दुख इस बात का है सरकार किसी की भी हो चिकित्सा के नाम पर डाका खुलेआम डाला जा रहा है, जिसे रोकने के लिए शायद अब किसी सख्त सरकार की नही बल्कि अवतार की जरूरत है सत्य घटना को प्रकाशित करने पर भी पत्रकार सुरक्षित नहीं है आखिर पत्रकारों की सुरक्षा का जिम्मेदार कौन है।
राजकुमार गुप्ता
जिला संवाददाता मथुरा