उज्जैन आलेख (रघुवीर सिंह पंवार ) ,
हमारे देश के किसान की हालत दयनीय होती जा रही है | बैंक से किसान लोन लेकर खाद, बीज ,दवाइयां लेकर खेती करता है ,उसको मालूम नहीं रहता कि जो बीज खेत में बिखेरे हैं उससे उस को लाभ होगा या हानी नह फिर भी सागर जैसा हृदय रखने वाला किसान चुनौती स्वीकार करके अनवरत अपना काम करता रहता है | यदि अच्छी फसल पैदा होती है तो वह खुश होकर भगवान का धन्यवाद करता है, मन में कई प्रकार के सपने देखता है ,सोचता है बच्चों की शिक्षा, बेटे , बेटियों की शादी अच्छा घर बनाने की बात ,जब फसल बेचने मंडी जाता है तो उसके अनाज की कीमत बोली लगाकर व्यापारी तय करते हैं, और वह कातर दृष्टि से उनके मुंह की तरफ देखता है |
उसको सही भाव मिलते हैं या नहीं , मजबूरी में अपनी फसल का सौदा करता है किसान को उसकी लागत का मूल्य भी नहीं मिल पाता है | जब वह आंदोलन करता है, अपने हक के लिए तो उसे आतंकवादी, देशद्रोही की उपाधि से नवाजा जाता है| किसान पशु पालन करके दूध बेचता है | दूध के पैसे बढ़ जाते हैं तो लोग आंदोलन करते हैं कि दूध की कीमत कम करो ,सब्जियों के भाव बढ़ने पर लोग सड़क पर आकर आक्रोशित होते हैं |शराब महंगी होती है तो उसका विरोध नहीं करते हैं और बड़ी शान से खरीदते हैं |
किसान द्वारा उत्पादित फसलों के भाव बढ़ने पर हजारों रुपए की नौकरी करने वाले लोग जिन को उनकी औकात के हिसाब से ज्यादा वेतन मिलता है फिर भी किसान की फसलों के भाव बढ़ने पर उनके दिल से पानी निकाली हुई मछली की तरह धड़कने लग जाते हैं | कैसी विडंबना है हमारे देश की सरकार किसानों की फसलों में दाम हर वर्ष बढ़ाते हैं वह ऊंट के मुंह में जीरे की तरह किसानों के द्वारा उत्पादित फसलों के भाव भी कर्मचारियों ,अधिकारियों के वेतन के हिसाब से बढ़ाने चाहिए तभी देश का किसान खुशहाल आत्मनिर्भर बन पाएगा |शासन किसान का अनाज समर्थन मूल्य पर खरीदी है उसको भी किसान को बेचने के लिए 3 से 4 दिन लग जाते है| भूखा प्यासा किसान लंबी कतार में लगता है जब कहीं जाकर उसका माल बिकता है |
वही अनाज सरकार जो किसान से खरीदती है वही बिज यदि किसान सरकारी बीज निगम से खरीदता है तो उसको दो या तीन गुना ज्यादा कीमत पर सरकार किसान को बेचतीत है | अर्थशास्त्री अरस्तु ने सही कहा है, किसान कर्ज में जन्म लेता और कर्ज में ही मर जाता है | दुनिया के लोगों का पेट भरने वाला किसान भूखा सोता है | समय पर बिजली के बिल नहीं चुका पाता है, तो उसको प्रताड़ित किया जाता है | मुकदमे दायर किए जाते हैं, इस त्रासदी से तंग आकर किसान आत्महत्या कर लेता है ऐसे कई उदाहरण हमारे जिले में देखने को मिलते हैं | उद्योगपतियों व्यापारियों के लोन सरकार माफ कर देती है लेकिन किसान की बात आती है तो सरकार कहती है सरकार के पास बजट नहीं है यदि कोई व्यक्ति सरकारी विभाग में कार्य करता है तो उसे वेतन मिलता है | सेवानिवृत्त होने पर पेंशन मिलती है, हम उसका विरोध नहीं करते हैं क्योंकि उसने देश सेवा की लेकिन दुख इस बात का है कि किसान जीवन भर मेहनत करता है, जब वह 80 वर्ष का हो जाता है तो वह शारीरिक रूप से कमजोर होता है |
सरकार उसको पेंशन क्यों नहीं देती ? उसने भी एक सरकारी कर्मचारी ,अधिकारी की तरह खेती करके लोगो के पेट की भूख की ज्वाल को शांत किया | किसान के दिन रात काम का समय निश्चित ही नहीं है | लगातार काम करता रहता है | खेतों में काम करके देश सेवा की है उसको भी बुढ़ापे में पेंशन की जरूरत होती है, और सरकार इस और ध्यान नहीं है | एक बार जब कोई व्यक्ति विधायक ,सांसद ,मंत्री बन जाता है तो उस के वेतन ,भत्ते ,डीजल ,पेट्रोल ,यात्रा, टेलीफोन कुल मिलाकर लाखों रुपए प्राप्त करते हैं, लेकिन किसान की बात आने पर सरकार के पास पैसे नहीं है, का जुमला चालू हो जाता है |
यदि आप भगवान को मानते हो तो मंदिर की जगह, कड़कड़ाती ठंड में रात के समय खेत में जाकर देखो किसान अपने शरीर की परवाह न करके फसलों को पानी देता है, आप फिर कल्पना करो कि किसान निस्वार्थ भाव से दुनिया के लोगों के पेट की भूख की ज्वाला शांत करने के लिए अपने आप को समर्पित करता है | उसके काम करने का समय निश्चित नहीं होता है और सप्ताह ,महीने में अवकाश नहीं होता है | जैसे सूर्य भगवान बिना अवकाश के नियमित रूप से प्रकाश करते हैं, उसी प्रकार किसान भी लगातार काम करता रहता है |उसे वेतन ,भत्ते , सुरक्षा, बीमा, पगार नहीं मिलती है |
वह अपने दम पर कड़ी मेहनत कर अपने परिवार का भरण पोषण करता है तभी कहीं जाकर उसके परिवार को कुछ सुविधा मिल पाती वह भी ऊंट के मुंह में जीरे के समान कहने में तो किसान अन्नदाता है लेकिन वास्तविकता किसी से छिपी नहीं भारत देश लोकतांत्रिक देश है | जहां पंचायत से लेकर लोकसभा के चुनाव हर वर्ष होते रहते हैं लाखों करोड़ों रुपए खर्च होते हैं | सरकार गिरती है ,बनती है, विधायक खरीदे ज बेचे जाते हैं| राजनीतिक पार्टियां चुनाव जीतने के लिए किसानों से वोट प्राप्त करने के लिए कर्ज माफी घोषणा करती है और सरकार बनने के बाद सभी वादे जुमले हो जाते हैं, ना किसान का फायदा और ना देश का |