
*जिलाधिकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी के आंखों में धूल झोंक रहे हैं एंबुलेंस कर्मचारी*
*एक तरफ फर्जी केस पर चल रहा है जांच तो दूसरी तरफ जारी है फर्जी केस*
*समय से एम्बुलेंस न मिलने पर मरीज को करना पड़ा किराये के बाहन का प्रयोग*
अंबेडकर नगर जिला में विगत एक माह से लगातार एम्बुलेंस के फर्जी केस का मामला चल रहा है इसका मतलब एंबुलेंस कर्मचारी बिना मरीज के ही गाड़ी दौड़ा कर अपना टारगेट पूरा करते हैं एंबुलेंस कर्मचारी टारगेट पूरा करने के लिए किसी के द्वारा फोन करा कर आई डी पास करा लेते हैं और गाड़ी दौड़ाते हैं वास्तव में गाड़ी खाली दौड़ाते हैं परन्तु कागजों में मरीज सवार होते हैं जिसकी जांच भी हुई और फर्जी केस आइ डी की पुष्टि भी हुई कि कम्पनी फर्जी केस करवाती है जिसकी कार्य वाही अभी बाकी है।
इसी बीच आज पुनः सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र टांडा में एक एम्बुलेंस गाड़ी फर्जी वाड़ा मे मीडिया के निगाहों से आई और गाड़ी का नम्बर UP 32 EG 6583 है और गाड़ी पर मेडिकल टेक्नीशियन जय मौर्य है यह गाड़ी टांडा में 1:35 पर मुलाकात होती है मुलाकात होने पर जय मौर्य पूछा जाता है गाड़ी कहां जा रही है तो उन्होंने बताया यह गाड़ी उथरेथू अस्पताल की है और टांडा अस्पताल में मरीज लेने जा रही है और गाड़ी 5 मिनट पर अस्पताल में पहुंच जाती है कुछ देर इंतजार करने के बाद जब देखा गया की गाड़ी पर मरीज नहीं बैठे तो उनसे पूछा गया कि आप मैरिज क्यों बैठा रहे हो तो उन्होंने बताया मरीज का इंतजार कर रहे हैं जब केस आइडी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि आसा ने केस आई डी लिया है और जब केस आईडी मांगा गया तो उन्होंने आसा बहू का नंबर दिया जब आशा बहुत नंबर पर कॉल किया जाता है तो उन्होंने बताया कि हमने के केस आई डी लिया है परंतु आशा बहू के नंबर पर कॉल 1: 52 पर किया जाता है जबकि आईडी मांगा गया तो कैसे आईडी 1:54 का मिला कुल मिलाकर कहा जाए तो मेडिकल टेक्नीशियन जय मौर्य जब अपने को फसता देखा तो किसी तरीके से आशा बहू की सेटिंग करके कॉल आई डी मंगवा लिया गया इससे पहले बताना चाहते मेडिकल टेक्नीशियन ने बताया आशा बहू ने हमें प्रशनल नम्बर पर फोन करके बुलाया जबकि उससे पहले रोड पर मिलने पर बताया केस आई डी मिली यहां पर मेडिकल टेक्नीशियन अपनी बातों में फसता नजर आया एम्बुलेंस के नियमानुसार अगर एम्बुलेंस का पहिया घूम रहा है तो उस पर केस आई डी नहीं ली जा सकती तो यह गाड़ी उथरेथू से आशा के कहने पर बिना केस आई डी लिए कैसे चली जो टांडा अस्पताल में 1.40 बजे पहुंची कम से कम यह 30 मिनट पहले तो उतरेथू से चली ही होगी मेडिकल टेक्नीशियन अपने को फसता देख किसी तरीके आशा से मिलकर 1.55 बजे केस आई डी लेता है और केस आइ डी लेने के बाद भी गाड़ी लगभग 50 मिनट तक खड़ी रही अगर इस बीच जिसमें मिलाकर लगभग 2 घंटे का समय लगा इस बीच अगर किसी को एम्बुलेंस की जरूरत पड़े तो मिलना मुश्किल हो जायेगा और मरीज को किराए के बाहन का प्रयोग करना पड़ेगा इस जीता जागता उदाहरण आज इसी अस्पताल पर घटित हुई।आज लगभग ग्यारह बजे जिला कोर्ट में किसी कर्मचारी को एम्बुलेंस की जरूरत पड़ी तो जिला अस्पताल पर एम्बुलेंस खाली न रहने टांडा के एम्बुलेंस को यह केस मिला जिसकी गाड़ी नम्बर UP 32 BG 8569 और टांडा अस्पताल से जिला अस्पताल लगभग 20 किलोमीटर दूर है जबकि मरीज जिला अस्पताल से मात्र 500 मीटर दूर आलम यह हुआ कि मरीज को किराए के बाहन से जिला अस्पताल जाना पड़ा यह बात मरीज के फोन नम्बर पर वार्ता के दौरान पता चला और एम्बुलेंस को बीच रास्ते से लौट कर टांडा आना पडा़ ।कुल मिलाकर कहा जाए एम्बुलेंस कम्पनी ऐसे ही फर्जी केस केस करवाती रही तो जरूरत मंदों को एम्बुलेंस नहीं मिल सकता है मुख्य चिकित्सा अधिकारी जिला अधिकारी भले ही फर्जी वाड़ा जांच सत्य पाये लेकिन कार्रवाई न होने से इनके हौसले बुलंद हैं और लगातार जनपद में एम्बुलेंस फर्जी केस करने में व्यस्त हैं