
स्वामी आत्मानंद स्कूल सरायपाली, जिला महासमुंद में सेजेस के पूर्व प्रभारी प्राचार्य मनोज पटेल द्वारा 19 दिनों से प्रभार न सौंपने की घटना ने शिक्षा विभाग में हलचल मचा दी है। 16 अक्टूबर 2025 को मनोज पटेल को मूल शाला वापसी का आदेश मिला था, लेकिन आदेश प्राप्त होते ही उन्होंने मेडिकल लीव लगाकर विद्यालय से दूरी बना ली। इस दौरान उन्होंने विद्यालय की चाबियां, कंप्यूटर आईडी पासवर्ड और अन्य आवश्यक ऑनलाइन आईडी पासवर्ड किसी अन्य को सौंपे बिना स्वयं की कस्टडी में रख लिए, जिससे विद्यालय का संचालन प्रभावित हुआ।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मनोज पटेल ने मेडिकल लीव के दौरान विद्यालय के प्रभार को सौंपने से साफ इंकार कर दिया। जब भृत्य द्वारा आदेश तामिल कराने के लिए उनसे संपर्क किया गया, तो उन्होंने फोन पर गाली-गलौज की और आदेश लेने से मना कर दिया। इस व्यवहार से विद्यालय के कर्मचारियों और शिक्षा विभाग के अधिकारियों में असंतोष व्याप्त है। इसके अलावा, मनोज पटेल पर जिला शिक्षा अधिकारी के खिलाफ मीडिया में माहौल बनाने की कोशिश करने का भी आरोप लगाया गया है।
यह घटना स्वामी आत्मानंद स्कूल के शैक्षणिक और प्रशासनिक परिदृश्य को प्रभावित कर रही है। विद्यालय की नियमित गतिविधियां बाधित हो रही हैं, जिससे छात्रों की पढ़ाई पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। विद्यालय की चाबियों और महत्वपूर्ण पासवर्ड की अनुपलब्धता ने विद्यालय के प्रशासनिक कामकाज को ठप कर दिया है।
शिक्षा विभाग ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए मनोज पटेल के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की बात कही है। जिला शिक्षा अधिकारी ने बताया कि प्राचार्य के इस गैरजिम्मेदाराना रवैये से विद्यालय की छवि धूमिल हुई है और विभाग इसे बर्दाश्त नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि जल्द ही इस मामले की जांच कर उचित कार्रवाई की जाएगी ताकि विद्यालय की सामान्य स्थिति बहाल हो सके।
स्थानीय लोगों और अभिभावकों ने भी इस घटना की निंदा की है। उनका कहना है कि प्राचार्य का यह व्यवहार न केवल विद्यालय के हितों के खिलाफ है, बल्कि इससे बच्चों की शिक्षा भी प्रभावित हो रही है। उन्होंने शिक्षा विभाग से मांग की है कि इस मामले को जल्द से जल्द सुलझाया जाए और विद्यालय में स्थिरता लाई जाए।
इस पूरे प्रकरण ने शिक्षा विभाग के अंदर भी सवाल खड़े कर दिए हैं कि कैसे एक जिम्मेदार पद पर बैठे व्यक्ति ने अपने कर्तव्यों का पालन नहीं किया और विद्यालय के संचालन को बाधित किया। यह मामला शिक्षा प्रशासन के लिए एक चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है कि ऐसे मामलों में सख्त कदम उठाना आवश्यक है।
अंततः, स्वामी आत्मानंद स्कूल सरायपाली की इस घटना ने शिक्षा क्षेत्र में प्रशासनिक अनुशासन और जिम्मेदारी की अहमियत को फिर से उजागर किया है। उम्मीद की जा रही है कि शिक्षा विभाग जल्द ही इस मामले को सुलझाकर विद्यालय की सामान्य स्थिति बहाल करेगा और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कड़े नियम लागू करेगा।
