
अंबेडकरनगर।जिले को कुपोषणमुक्त करने के लिए चल रहे अभियान में बाल पोषण विभाग को बड़ी सफलता मिली है। मार्च की तुलना में अप्रैल माह में कुपोषित बच्चों की संख्या में 872 तो अतिकुपोषित बच्चों में 88 की कमी आई है।
मौजूदा समय में 28,064 कुपोषित तो 2,107 अतिकुपोषित बच्चे हैं। इन सभी को सामान्य श्रेणी में लाने के लिए लगातार जागरूकता अभियान चल रहा है।
जिले को पूरी तरह से कुपोषणमुक्त करने को लेकर बाल विकास अधिकारी कार्यालय की ओर से लगातार आंगनबाड़ी व एएनएम की संयुक्त टीम से गांव-गांव में अभियान चलाकर कुपोषित व अतिकुपोषित बच्चों का चिह्नांकन कराया जा रहा है। सामान्य श्रेणी के छह वर्ष तक के बच्चों को आंगनबाड़ी केंद्र से खाद्यान्न दिया जाता है, वहीं अतिकुपोषित बच्चों को अतिरिक्त खाद्यान्न दिया जाता है।
कुपोषण को लेकर अप्रैल में चले विशेष जागरूकता अभियान का इस बीच लाभ भी मिला। न सिर्फ कुपोषित बल्कि अतिकुपोषित बच्चों की संख्या में बेहतर देखभाल के चलते कमी आई है। बाल विकास अधिकारी कार्यालय के अनुसार मार्च माह की तुलना में अप्रैल माह में कुपोषित बच्चों की संख्या में 872 जबकि अतिकुपोषित बच्चों की संख्या में 88 की कमी हुई है।
मार्च माह में कुपोषित बच्चों की संख्या 28,936 थी जबकि अप्रैल में घटकर 28,64 हो गई। इसी प्रकार अतिकुपोषित 2195 मार्च माह में चिह्नित किए गए थे जबकि अप्रैल माह में 2107 हो गई।
मिलता है अतिरिक्त खाद्यान्न
अतिकुपोषित बच्चों को सामान्य श्रेणी में लाने के लिए अतिरिक्त खाद्यान्न दिया जाता है। बाल विकास कार्यालय के अनुसार गेहूं दलिया एक किलो के स्थान पर डेढ़ किलो, चावल एक किलो के स्थान पर डेढ़ किलो, चना दाल एक किलो के स्थान पर दो किलो और खाद्य तेल 455 ग्राम मिलता है। इसके बाद भी अतिकुपोषित श्रेणी से बच्चे बाहर नहीं आते तो उन्हें जिला अस्पताल परिसर स्थित पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती कराया जाता है। साथ ही समय-समय पर बच्चों की जांच भी की जाती है।
समय-समय पर होती है जांच
जिले को कुपोषणमुक्त करने के लिए समय-समय पर अभियान चलाकर जांच की जाती है। यदि कोई अतिकुपोषित मिलता है तो उसे सामान्य श्रेणी में लाने के लिए अतिरिक्त खाद्यान्न दिया जाता है। – दिनेश मिश्र, जिला कार्यक्रम अधिकारी