दो साल पहले संकट मोचक के रूप में सामने आई थी यहां की तीन माइंस, इस बार नहीं पड़ेगी जरूरत।

दो साल पहले संकट मोचक के रूप में सामने आई थी यहां की तीन माइंस, इस बार नहीं पड़ेगी जरूरत।
पाली जिले में पानी का सबसे बड़ा स्रोत है जवाई बांध। जिसमें वर्ष 2022 में पानी रीता तो जल संकट गहरा गया था। पानी की त्राहि-त्राहि मची थी। उस समय संकट मोचक के रूप में सामने आई थी जाडन के निकट की तीन माइंस। जिनका पानी पाइप लाइन के माध्यम से पाली तक लाया गया। उससे कई दिनों तक पाली में जलापूर्ति हुई। हालांकि, इस बार जवाई बांध में अभी पर्याप्त पानी है, ऐसे में माइंस के पानी की जरूरत नहीं होगी। माइंस भी पानी से लबालब है।
पश्चिमी राजस्थान के मरुसागर कहे जाने वाले 61.25 फीट भराव क्षमता वाले जवाई बांध में अभी 1643.40 एमसीएफटी पानी है। इसमें से करीब 550 एमसीएफटी पानी बांध के डेड स्टोरेज में रहता है। उसे छोड़ दिया जाए तो जवाई बांध में 1093 एमसीएफटी पानी लाइव स्टोरज में है। बांध से रोजाना करीब 8 एमसीएफटी पानी उपयोग में लिया जाता है। जिसका अर्थ है यह पानी करीब 137 दिन से अधिक समय के लिए पर्याप्त है।
इतना पानी था अकाल के समय तीनों माइंस मेंअकाल के समय 450 एमएल पानी एक माइसं में, गहराई करीब 80 फीट, 250 एमएल पानी दूसरी माइंस में, गहराई करीब 50-60 फीट, 150 एमएल पानी तीसरी माइंस में, गहराई करीब 40-50 फीट पानी था। इतना या इससे अधिक पानी अभी भी इन बंद हो चुकी माइंस में है। हालांकि इस बार इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी।
सावाणिया माइंस है नामवर्ष 2022 के मार्च में जवाई बांध में पानी दूसरे डेड स्टोरेज में पहुंच गया था। उस समय जाडन टोल नाके के पास सोवाणिया बंद हो चुकी तीन माइंस के करीब 850 एमएल पानी को पाली तक लाने के लिए पाइप लाइन बिछाई गई थी। इसके लिए सबसे अधिक जिस माइंस में पानी मिला था, उसमेें 70 फीट नीचे तक पानी पम्प करने की मोटर उतारी गई थी। दूसरी माइंस में 30-40 फीट नीचे मोटर उतारकर पानी लिया गया था। वहां से पानी को पम्प कर टोल नाके के पास बनाई गई डिग्गी में पानी लाया गया। वहां से सोजत जा रही पाइप लाइन के माध्यम से पाली तक पानी लाया गया था।48 से 72 घंटे के अंतराल से की जा रही जलापूर्ति
अभी किसी तरह का जल संकट नहीं है। जवाई बांध के साथ अन्य जलापूर्ति के बांधों में भी पर्याप्त पानी है। जिले में अभी 48 से 72 घंटे के अंतराल से जलापूर्ति की जा रही है।