
सागर। वंदे भारत लाइव टीवी न्यूज़ संवाददाता सुशील द्विवेदी।
ग्रीष्म कालीन मौसम आ गया है ग्रीष्म कालीन मौसम में घर परिवार के बच्चों को नाना नानी, मामा मामी, देश विदेश यात्रा और पर्यटन स्थलों पर अधिकांश जाना होता है।।
समय के साथ साथ यात्रा का स्वरूप भी बदल चुका है।।
लोगों के दैनिक जीवन में समय का *अभाव और लगाव* दोनों की कमी देखी जा रही है।
जहां 90 के दशक मार्च क्लोजिंग और स्कूल की ग्रीष्म कालीन छुट्टी का इंतजार सभी को रहता था तो बच्चों को भी नाना नानी, मामा मामी, दादा दादी के घर छुट्टियां मनाने का उत्साह उमंग दिखाई देती थीं तो कहीं युवा महिलाओं और बच्चों को भी इन ग्रीष्म कालीन छुट्टी मै कुछ सीखने और कुछ नया करने की ललक दिखाई देती थीं।।
जहा एक समय अतिथि और मुसाफिर देव तुल्य माने जाते थे तो कहीं परदेशी के साथ बिताए पल को हम सालों बाद भी याद करते थे।।
वास्तव मे गांव में जाना खेतों में जाना रात रात भर आंगन में बैठना दोपहर में पेड़ो की छाव में बैठना अलग मजा था।।
उस समय ना वातानुकूलित कमरे थे ना वाहन केवल संपन्न वर्ग में पंखा और निम्न आय में हाथ से चलाने वाला पंखा (बिजना) होता था।।
देखा जाए तो हम पर्यावरण और प्रकृति के पास थे।। इसी लिए उस समय मटके का पानी, इमली, केथे , आम की चटनी बैर का चूरन,, चना खाने का अलग ही मजा रहा
*वो जमाना मोबाइल फोन भले ही नहीं थे पर संचार की गति तेज थी* ।।
*भारत में रेल्वे स्टेशन और रेल गाड़ी और पोस्ट ऑफिस और पोस्ट कार्ड लोगों के जीवन का हिस्सा था* ।।
सबसे रोचक तथ्य भी ये था की दोनों मुसाफिर तंत्र का हिस्सा थे।।
दोनों ही जगह रेल्वे स्टेशन पर मास्टर
और पोस्ट ऑफिस में पोस्ट मास्टर बैठते थे।।
कोई अधिकारी संस्कृती नहीं थी।।
आकाशवाणी विविध भारती ।।
रेडियो और टीवी पर दूरदर्शन एक जीवन का हिस्सा थे।।
चेन्नई (मद्रास) के एक स्कूल ने अपने विद्यार्थी को जो ग्रीष्म कालीन अवकाश पर असाइनमेंट ( प्रदाय कार्य) दिया है वह भारत के साथ साथ दुनिया भर में पढ़े जा रहा है
असाइनमेंट में कुछ मुख्य बिंदु है जो वर्तमान में अभिभावक भी ध्यान रखें
स्कूल ने लिखा है हम 10 महीने आपके बच्चे के साथ रहे उन्होने अनुशासन के साथ शिक्षा प्राप्त की है अगले 02 महीने बच्चे आपके साथ है अब आप से हम निवेदन करते हैं।।
अगले 02 महीने आप प्राकृतिक संरक्षक यानि आपके साथ छुट्टी बिताए।।
आप बच्चों के साथ नाना–नानी, मामा–मामी, दादा– दादी के घर ले जाए उन्हे बच्चों के साथ घुलने मिलने दे, उनका भावनात्मक सहारा आपके बच्चों को बहुत बहुत जरूरी है यादगार पल बनाने तस्वीरें ले।।
उन्हें अपने ऑफिस कार्य स्थल पर भी कभी कभी ले जाए।। जिससे वो जान सके आप कितनी मेहनत से परिवार की आजीविका चलाते हैं।।
किसी भी त्यौहार , स्थानीय बाजार, धार्मिक स्थल, मेला, आदि में समय मिलने पर ले जाए।।
*अपने बच्चों के साथ कम से कम दो बार खाना जरूर खाएं*।।
उन्हें किसानों मजदूरों और सैनिक के कठिन परिश्रम का महत्व जरूर बताएं
और खाना बेकार करने, खाना आधा छोड़ने की आदत को सुधारे
पानी का महत्व बताए।।
अपना कार्य स्वयं करने की आदत बनाएं खाना खाने के बाद प्लेट ख़ुद धोने की आदत दे।।
इस तरह के कार्यों के जरिए बच्चे मेहनत की कीमत समझेंगे.
बच्चो को खाना बनाने की आदत दे. उन का सहयोग ले जिसे जिसे सब्जी साफ करना, सलाद बनाना,आदि।।
अपने पड़ोसी के घर जाए, उनके बारे में जानें समझें, अच्छे लोगों के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए।।
बच्चों को बाहर जाकर खेलने दे, चोट लगने दे, गंदा होने दे, कभी का भार गिरना और दर्द सहना उनके लिए अच्छा होता है।।
सोफे के कुशन जैसी जिन्दगी आपके बच्चें को आलसी बना कर रख देगी।।
उन्हें दोपहर में घर में खेलने दे।।
उन्हें कुत्ते, बिल्ली, चिड़िया, या मछली पालने दे,
उन्हें कहानियां, लोक गीत, सुनाए,,
बच्चों को रंग बिरंगी पेटिंग रंगोली तस्वीरे बनाने दे।। बच्चों को पौधे लगाने दे किचन गार्डन बनाने दे गर्मी के मौसम में 03 समय पौधो को पानी देने प्रेरित करे।।
आपने परिवार और संबंधियों के बारे में सकारात्मक जानकारी दे।। अपने बच्चों को परिवार के इतिहास को बताए।।
*अधिकांश बच्चों को टी वी, मोबाइल फोन, कंप्यूटर और इलेक्ट्रानिक गैजेट्स से दूर रखें,, वर्तमान में इन सबके लिए उनका पूरा जीवन है*।।
बच्चों को चॉकलेट्स, जैली, क्रीम केक, चिप्स, गैस वाले पेय पदार्थ और पेप्स जिसे बेकरी प्रोडक्ट्स और बाजार के समोसे आदि तेल के बनी सामग्री से दूर रखें मिठाई के सेवन से दूर रखें।।
*बच्चों को अल्प बचत, की जानाकारी दे और पैसे के महत्व को समझाएं। बेकार के लोभ लालच, फर्जीवाड़ा, आत्म रक्षा, और दूसरो के सहयोग की शिक्षा दे*।।
गर्मी के मौसम में पक्षियों के घोंसले *सुरक्षित रखने के लिए प्रोत्साहित करें*
*बच्चों को धर्मार्थ पानी पिलाने के* *प्रोत्साहित करें पक्षियों और पशुओं को*
*माता पिता के नाते ज्यादा से ज्यादा समय बच्चों के साथ बिताए*।।
*अभिभावक अपने बच्चों की आंखों में देखें और ईश्वर को धन्यवाद दे कि उन्होने इतना प्यारा तोहफ़ा आपको दिया है,, अब से आने वाले कुछ वर्षो में बच्चें नई ऊंचाइयों पर होगे*।।